गजल शायरः- महेन्द्र वर्मा
तुम्हारी आँखे मुस्कुरा कर इजहार ए मोहब्बत करती है
इसे ही आंशिकी कहते है सच्चे प्रेम की
मुस्कुराहट इजहार है दिल का पैगाम इजहार करने का
कभी-कभी मौसम आता है प्यार करने का
ये इश्क छिपाये नही छिपता
आँखों से इजहार हो जाता है
ये दिल की कशिश है जो नजरों से बयान होती है
इसे इी मौहब्बत करते है जो आँखों से इजहार होती है
इश्क क्या है ये सच्चे आंशिक से पूछों
दिल में इश्क धड़कता है, कशिश को बयान करता है
यह कशिश ही मौहब्बत के कदम बढ़ाती है
सेंज की रात जिन्दगी में एक बार आती है
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